
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बयानों का ज्वालामुखी फूट पड़ा है। उन्नाव रेप कांड के दोषी और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत के बाद जहां सियासी गलियारों में पहले ही हलचल थी, वहीं अब पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बयान ने इस मुद्दे को राजनीतिक तूफान में बदल दिया है।
अपने बेबाक और विवादित अंदाज़ के लिए मशहूर बृजभूषण न केवल सेंगर के समर्थन में खुलकर उतरे, बल्कि पूरे मामले को “गहरा षड्यंत्र” करार दे दिया।
“जैसे मेरे खिलाफ हुआ, वैसे ही सेंगर को फंसाया गया”
कुलदीप सेंगर की जमानत पर खुशी जाहिर करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि उनके साथ भारी अन्याय हुआ।
उन्होंने दावा किया कि सेंगर के खिलाफ विश्वव्यापी साजिश रची गई थी — ठीक वैसी ही जैसी उनके अपने खिलाफ रची गई थी।
“मेरे खिलाफ भी साजिश हुई थी, लेकिन जनता मेरे साथ खड़ी रही। दुर्भाग्य से सेंगर उस चक्रव्यूह से समय रहते बाहर नहीं आ पाए।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि साजिशकर्ता आज भी सक्रिय हैं और देश को गुमराह कर रहे हैं।
“क्या देश धरना-प्रदर्शन से चलेगा?”
सेंगर की जमानत के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों पर बृजभूषण ने सीधा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया — “क्या अब अदालत के फैसलों का कोई मोल नहीं रह गया है?”
उनका कहना था कि धरना-प्रदर्शन करने वाले लोग किसी न किसी ताकत से प्रेरित हैं।

उन्होंने तुलना करते हुए कहा — “जब सेंगर सालों जेल में थे, तब उनके समर्थकों ने सड़कें जाम नहीं कीं। उन्होंने कानून का सम्मान किया। अब कोर्ट से जमानत मिली है, तो बवाल क्यों?”
सीधे शब्दों में —Law vs Protest की बहस को उन्होंने हवा दे दी।
Judicial Process पर भरोसा या Political Pressure?
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि यह रिहाई किसी रसूख का नहीं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया का नतीजा है। उनका कहना है कि सेंगर ने लंबा वक्त जेल में बिताया, और अब कानून के तहत बाहर आए हैं।
हालांकि, इस बयान ने बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है। विपक्ष का आरोप है कि — एक सजायाफ्ता अपराधी का सार्वजनिक बचाव। पीड़ित परिवार की पीड़ा का अपमान। सत्ता में बैठे नेताओं की संवेदनहीनता।
Bail मिली, बवाल फ्री में
जमानत अदालत ने दी, लेकिन सियासी हंगामा बोनस में मिला। UP Politics में सवाल वही पुराना है — न्याय बड़ा या नैरेटिव?
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